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Thursday 26 November 2015

भारत में बढती असहनशीलता का मामला. सच क्या है?


दिल की बात करे तो यह बात सब जानते है की केंद्र में सरकार बदलने के बाद से बहुत सी ऐसी घटनाए घटी है जिससे यह साफ़ दिखाई देता है की कुछ ऐसे तत्व है जो सरकार बदलने का फाएदा उठा कर खुले आम ऐसे काम करने के लिए उतारू है जिससे देश के अल्पसंख्यक / दलित / पिछड़े वर्ग के लोगो के दिल में एक तरह का डर बैठ जाए. इसे साबित करने के लिए अगर हम सिर्फ जून 2014 से आज तक की टाइम लाइन देखे तो सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई देने लगेगा.
 
  • प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद से 300 दिनों के भीतर जातीय दंगो के लगभग 600 से ज्यादा केस दर्ज किये गए जिसमे 43 लोगो ने अपनी जाने गवाई. इनमे से 149 दंगे इसाईयों के खिलाफ और बाकी के मुसलमानों के खिलाफ हुए. 
  • असम में ट्राइबल पोलिटिकल ग्रुप के द्वारा 108 मुसलमानों का जन्संघार 
  • ओडिशा, कर्नाटक और दुसरे राज्यों में चर्च का तोडा जाना, इसाई पादरियों और नन के साथ बुरा बर्ताव, आगज़नी और अलग अलग तरह के छोटे मोटे हमले. 
  • उत्तर प्रदेश में बीफ खाने की अफ़वाह पर मंदिर से अनाउंसमेंट होना जिसकी वजह से गुस्साई भीड़ का “अखलाक” नाम के आदमी को पिट पिट कर जान से मार देना 
  • एक दलित परिवार का मंदिर में प्रवेश करने से गुस्साई भीड़ का उन पर हमला करना जिसकी वजह से दो मासूम बच्चो की मौत होना 
  • बिहार चुनाव के समय भा.ज.पा. के नेताओ द्वारा बहुत से ऐसे बयानात का जारी होना जो देश के ताने बाने के लिए खतरा होना 
  • और बहुत सी ऐसी घटनाए

यह सब होने के बाद भी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की तरफ से ऐसे एक भी बयान नहीं आना जो इन घटनाओ का खंडन कर रहे हो इस बात को साबित करता है की सरकार को देश में बढती ऐसी वारदात से कोई सरोकार नहीं है.


इसके उलट केंद्र सरकार का बयान की यह सब घटनाओं को कंट्रोल करना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है, एक ग़ैर जिम्मेदाराना जवाब है.


आज अगर किसी से भी पूछा जाए की “असहनशीलता की शिकायत किस्से है?”; तो हर कोई जवाब देगा के उन असामाजिक तत्वों से जो किसी जाती, धर्म / मज़हब या समाज के खिलाफ किसी भी प्रकार की गलत धारणा अपने दिल में रखते है. कोई यह नहीं कहेगा की देश में रहने वाला आम इंसान असहनशील बन गया है.


असहनशीलता का माहोल उस समय फैलता है जब हमारे बिच पनपने वाले असामाजिक तत्व को यह भरोसा हो जाता है की उनके बुरे कामो पर कोई सवाल उठाने वाला नहीं है. जब सरकार के MLA और MP भड़काऊ बयानबाजी से नहीं बचेंगे तो गली के गुंडे मवाली भी समाज में अपनी दादागिरी फ़ैलाने से पीछे नहीं हटेंगे.


आज यही हो रहा है. जानता के चुने हुए यह MLA और MP योगी आदित्यनाथ और साध्वी निरंजन ज्योति के रूप में सदन और मीडिया में भड़काऊ बयानात दे कर समाज का माहोल ख़राब कर रहे है. इससे गली मोहल्लो में रहने वाले गुंडे मवालियो को धर्म के नाम पर सरकार के दिए हुए मुद्दों पर दुसरे समाज / जाती के लोगो के खिलाफ गुंडागर्दी करने का मौका दे रहे है. और इसी को असहनशीलता कहा जा रहा है.


अगर आप इस झांसे में नहीं पड रहे है और देश में भाईचारे का माहोल चाह रहे है तो आप सहनशील है और आप जैसे लोगो को ही आगे बढ़कर असहनशील लोगो को कंट्रोल करने की ज़रूरत है.


मीडिया के उठाए हर मुद्दे पर व्हाट्स एप या फेसबुक पोस्ट बनाकर फॉरवर्ड करना या सामने से आए हुए पोस्ट को फॉरवर्ड करने से मुद्दे हल नहीं होने वाले. हम सब भारतीय है और हमे साथी ही रहना होगा और इन गलतफहमियो को दूर करना होगा.


साथ ही हमे यह कोशिश भी करनी होगी की वो असामाजिक तत्व जो समाज के ताने बाने को बिगड़ने की कोशिश कर रहे है उन्केखिलाफ भी सख्त कारवाई की जाए ताकि आने वाला समय हम सब के लिए एक सुखी और समृद्ध पल ले कर आए; ना की दंगे और खून खराबा.


लेखक: अब्बास हिंदी

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