सीरिया में हर तरफ तबाही का माहोल है. माएं अपनी औलादों को बचाने में खुद अपनी जाने दे रही है और हर तरफ मासूमो की चीखे गूंज रही है. ऐसे में मीडिया लोगो को गुमराह करने का एक भी मौक़ा अपने हाथ से नहीं गवा रहा.
कभी यह कहा जा रहा है की सीरिया में जितने भी लोगो की जाने गई है, सबके पीछे अस्साद हुकूमत का हाथ है, तो कभी यह की रूस के सीरिया में आने के बाद मरने वालो की तादाद में बढ़ोतरी हुई है. इंसानियत हक जानने के लिए बेताब है. आखिर सच क्या है?
क्या आपको पता है?
- ISIS का जन्म कैसे हुआ?
- इतनी बड़ी मात्रा में ISIS के पास हथियार कहाँ से आए?
- ऐसा कैसे हो गया की सीरिया की फ़ौज के होते हुए ISIS लगभग आधे सीरिया पर कब्ज़ा कर पाने में कामियाब हुआ?
- ISIS को अपने खर्चे पुरे करने के लये फंड्स कहा से मिलता है?
- इजराइल की सरहद पर कब्ज़ा रखते हुए भी अभी तक ISIS ने इंसानियत के सबसे बड़े दुश्मन इजराइल पर एक भी हमला नहीं किया? क्यों?
सवालों की सूची बहुत बड़ी है लेकिन इन कुछ सवालो के जवाब तक पहुचने के साथी ही आप सच्चाई तक पहुचने लगेगे. लेकिन इन सवालो का जवाब देगा कौन?
एक तरफ जहाँ मीडिया अफवाहों का बाज़ार गर्म किये हुए है और सीरिया के मामले को शिया सुन्नी की जंग बताने में लगा है; सीरिया की जंग में दुनिया के तक़रीबन हर बड़े देश का शामिल होना दिखा रहा है की यह मामला इतना छोटा नहीं है जितना दिख रहा था.
एक तरफ अमेरीका और रूस 1988 के कोल्ड वार के बाद पहली बार आमने सामने है तो वहीँ अरब मुल्क आँखे बंद कर के पच्छिमी देशो का साथ दे रहे है. अपनी अवाम को अपने साथ रखने के लिए इन देशो का मीडिया झूट पर झूट गढ़ रहा है और हालात को ज्यादा बिगाड़ रहा है.
बात ज्यादा पुराणी नहीं है जब 2011में अमेरीका ने सीरिया में बागी गिरोह को हथियार और पैसे दे कर असद हुकूमत के खिलाफ भड़काया था और उसका साथ सऊदी अरब, क़तर, कुवैत और तुर्की ने दिया था.
क्या चार साल के अन्दर हम यह सब भूल गए? या हमे इस इनफार्मेशन से जानबूझकर दूर रखा गया? क्या वजह है की हर सुन्नी मुसलमान को लगता है की असद सीरिया में सुन्नियो को मार रहा है और हर शिया मुसलमान को लग रहा है की ISIS सिर्फ शिया मुसलमानों के खिलाफ ही हथियार उठाए हुए है?
मीडिया का बखूबी इस्तेमाल कर के सीरिया की जंग को मज़हबो की जंग का मोड़ दिया गया है और इन सब के बीच इजराइल अपने आप को और ज्यादा सुरक्षित करने के चक्कर में लगा हुआ है. सीरिया की जंग से किसी का फाएदा या ना हो; लेकिन इजराइल को इसका सबसे ज्यादा फाएदा ज़रूर महसूस हो रहा है.
सवाल यह उठता है की दुनिया के अम्न पसंद लोग इस बात को कितने देर में समझते है और इसे हल करने के लिए क्या क़दम उठाते है; जिस पर इस जंग का अगला पडाव दुनिया में रहने वाले लोगो के लिए शांति और अम्न का जरिया बने.
लेखक: अब्बास हिंदी
Bahut acche .....greater Israel k bare me bhi much likhe
ReplyDeleteBohot khoob bhai....keep it up..👌👍
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