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Wednesday, 1 January 2020

जन-आंदोलनों में सोशल मीडिया की भागीदारी

आज पूरे भारतवर्ष में संविधान बचानेके लिए जारी लड़ाई में आम शहरी जुड़ा हुआ है। जो लोग इस लड़ाई का हिस्सा नही भी है उन्हें पता है की मीडिया कुछ भी कहे, सच पर वही लोग है जो सड़को पर उतरे हुए है। 

सरकार के पास सारी मीडिया मशीनरी मौजूद है और वह इसका भरपूर फायदा उठा रही है। फिर वह सरकारी मीडिया चैनल हो या किसी कंपनी का न्यूज़ स्टूडियो, सभी सरकार की "जय जय कार" कर रहे है। 

ऐसे में सोशल मीडिया सच्चाई को लोगो तक पहुचाने का एक ज़रूरी काम कर रहा है। भले ही सरकार के पास पैसा है, स्टूडियो है, लोग है, कारकुन है; लेकिन अवाम के पास लड़ने का इरादा है।

आप कहीं भी चले जाए, दिल्ली हो या मुम्बई, हैदराबद हो या केरल, कोलकाता हो या उड़ीसा। आप को एक भी शहर ऐसा नही मिलेगा जहां सरकार के खिलाफ आवाज़ सुनाई नही देगी। लेकिन इन सब आवाज़ों के बीच, मीडिया की खामोशी कुछ और ही कह रही है। 

यह मीडिया बिका हुआ है, दलाल है। नेतागणों के भाषण और चापलूसी भरी "मन की बात" दिखाने के लिए अग्रसर तो है लेकिन जनता की आवाज़ जनता तक पहुचाने के लिए कोई कदम नही उठा रहा।

ऐसे में सोशल मीडिया मज़लूम जनता की आवाज़ बन कर सामने आया है। आप ट्विटर, फेसबुक, हेलो, व्हाट्स ऐप्प कहीं भी देख लीजिये, सरकार के IT सेल के सामने जनता के धुरंधर जान लगाए खड़े है। छोटी से छोटी सभा हो या बड़ी रैलिया, सोशल मीडिया पर आप को जनता की असली आवाज़ साफ सुनाई देंगी।

आज भारत में जो "आज़ादी" की गूंज सुनाई दे रही है वो बिकाऊ गोदी मीडिया अगर ना भी दिखाए तो जनता की आवाज़ सोशल मीडिया से बाहर आ रही है और इसी के माध्यम से इसका असर हर तरफ फैलेगा और हम देखेंगे की सच की जीत होंगी।

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